
सक्ती//जैजैपुर जनपद में मनरेगा योजना का क्रियान्वयन में गंभीर खामियां सामने आ रही हैं। योजना के मूल उद्देश्य से हटकर, मजदूरों के बजाय मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। इससे स्थानीय मजदूरों को रोजगार से वंचित होना पड़ रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
मुख्य मुद्दे:
- मशीनों का अत्यधिक उपयोग: मनरेगा योजना में जेसीबी जैसे मशीनों का उपयोग नियम विरुद्ध है, फिर भी इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है।
- मजदूरों का शोषण: मशीनों के उपयोग से मजदूरों को रोजगार के अवसर कम मिल रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है।
- भ्रष्टाचार के आरोप: जनपद सीईओ, सरपंच, सचिव और रोजगार सहायकों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं।
- जांच में ढिलाई: शिकायतों के बावजूद, अधिकारी जांच में ढिलाई बरत रहे हैं और दोषियों को बचाने में लगे हुए हैं।
ग्रामीणों की पीड़ा:
ग्रामीणों का आरोप है कि जनपद सीईओ और अन्य अधिकारी भ्रष्टाचारियों को बचाने में लगे हुए हैं और जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति कर रहे हैं। इससे ग्रामीणों में रोष है और वे न्याय की मांग कर रहे हैं।
निष्कर्ष:
जैजैपुर जनपद में मनरेगा योजना का दुरुपयोग एक गंभीर समस्या है। इस समस्या के समाधान के लिए निम्नलिखित कदम उठाने आवश्यक हैं:
- स्वतंत्र जांच: भ्रष्टाचार के आरोपों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करवाना।
- दोषियों पर कार्रवाई: दोषी पाए गए अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना।
- मनरेगा योजना का सख्त क्रियान्वयन: मनरेगा योजना के नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना।
- मजदूरों को प्राथमिकता: मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाने पर ध्यान केंद्रित करना।
- पारदर्शिता: मनरेगा योजना में पारदर्शिता लाना और ग्रामीणों को योजना की जानकारी देना।
यह मामला न केवल जैजैपुर जनपद बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है। मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं का दुरुपयोग देश के विकास के लिए एक बड़ा खतरा है।



