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सक्ती//जैजैपुर-मालखरौदा के दर्जनों गांवों में उजागर हुआ लाखों का चावल घोटाला, एक साल बाद भी कार्रवाई शून्य! जिम्मेदार अफसरों पर उठे सवाल, ग्रामीणों में आक्रोश

सक्ती। जैजैपुर //छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले में शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में बड़ा घोटाला सामने आया है। जनपद पंचायत जैजैपुर और मालखरौदा के तहत आने वाले ग्राम पंचायतों—कोटेतरा, खम्हरिया, जर्वे, दर्राभाठा, हसौद, परसदा, तुषार, छितापड़रिया, भोथिया, करीगांव, बड़ेपारमुड़ा, आडिल, ढीमानी और औरदा में लाखों रुपए का चावल, शक्कर और नमक का गमन (घोटाला) उजागर हुआ है।
यह घोटाला तब सामने आया जब भौतिक सत्यापन के दौरान सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की दुकानों में आवंटित सामग्री का रिकॉर्ड और ज़मीनी सच्चाई में भारी अंतर पाया गया। सबसे गंभीर बात यह है कि यह मामला एक वर्ष पुराना होने के बावजूद आज तक न ही किसी दोषी पर कार्रवाई हुई, न ही कोई ठोस जांच रिपोर्ट सामने आई है।

पूर्व सभापति अरुण महिलांगे ने उठाई आवाज

इस मामले को लेकर पूर्व जनपद सदस्य एवं स्वच्छता समिति के अध्यक्ष अरुण महिलांगे ने 11 अप्रैल 2025 को कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर एक लिखित शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में स्पष्ट रूप से आरोप लगाया गया कि सरकारी दुकान संचालकों द्वारा बड़ी मात्रा में राशन सामग्री—विशेषकर चावल, शक्कर और नमक का गमन किया गया है।

रिकॉर्ड से खुलासा—

ग्राम पंचायत चावल (क्विंटल) शक्कर (क्विंटल) नमक (क्विंटल)
कोटेतरा 121.41 1.55 1.51
खम्हरिया 194.62 1.00 1.00
जर्वे 65.43 0.00 0.00
दर्राभाठा 137.93 1.08 0.57
हसौद 113.67 2.05 0.82
परसदा 70.00 0.76 0.26
तुषार 72.97 4.91 3.90
छितापड़रिया 27.60 0.96 0.38
भोथिया 64.02 1.17 0.93
करीगांव 74.45 9.82 8.37
बड़ेपारमुड़ा 114.40 5.11 4.02
आडिल 157.38 5.80 5.32
ढीमानी 76.52 5.22 2.57
औरदा 85.63 3.14 11.86

इस तालिका से साफ है कि कहीं सामग्री का वितरण नगण्य है तो कहीं पूरी तरह गायब है।

जनता में आक्रोश, अधिकारियों की चुप्पी पर सवाल

जनप्रतिनिधि अरुण महिलांगे का कहना है कि शिकायत के बावजूद आज तक न तो दोषियों की सोसायटी निरस्त हुई और न ही किसी अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया गया। वहीं, खाद्य विभाग के अधिकारी मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं, जिससे उनकी भूमिका पर भी संदेह गहराता जा रहा है।

क्या चावल माफिया के दबाव में है प्रशासन?

स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि राशन माफियाओं की मिलीभगत से यह सारा खेल चल रहा है, और जब तक उच्चस्तरीय जांच नहीं होती, तब तक ऐसे घोटाले बंद नहीं होंगे। सवाल यह भी उठ रहा है कि जब विधानसभा तक में मामला उठ चुका है, तो अब तक कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

मांग—जांच हो, दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो

पूर्व सभापति ने कलेक्टर से मांग की है कि:

  • दोषी दुकानदारों की सोसायटी तत्काल निरस्त की जाए।
  • खाद्य विभाग के संलिप्त अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई हो।
  • इस मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए।

निष्कर्ष:
जिले की जनता अब कार्रवाई की राह देख रही है। यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो यह प्रशासनिक लापरवाही का बड़ा उदाहरण बन सकता है। अब देखना यह होगा कि कलेक्टर और संबंधित अधिकारी इस पर कब तक संज्ञान लेते हैं और दोषियों को कानून के कटघरे में खड़ा करते हैं।

 

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