
जैजैपुर/मालखरौदा:
सक्ती जिले के विकासखंड मालखरौदा अंतर्गत भुतहा नर्सरी में बिना अनुमति के हरे-भरे पेड़ों की कटाई का मामला सामने आया है। प्रदेश सरकार जहाँ एक ओर पर्यावरण संरक्षण को लेकर करोड़ों रुपये खर्च कर “हरियाली अभियान” चला रही है, वहीं जिम्मेदार अधिकारी ही इस मुहिम को पलीता लगाने में लगे हैं।
जानकारी के अनुसार, भुतहा नर्सरी के उद्यान अधीक्षक द्वारा नियमों को दरकिनार करते हुए नर्सरी परिसर के अंदर दर्जनों हरे पेड़ काटे गए हैं, और इस पर किसी प्रकार की पूर्व अनुमति या नीलामी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। क्षेत्रवासियों का कहना है कि यह कटाई पूरी तरह से नियम विरुद्ध है और इसमें गंभीर अनियमितताएं की गई हैं।
वन विभाग से नहीं ली गई अनुमति
वन विभाग के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि सरकारी परिसर में पेड़ काटे जाने से पहले विभागीय मूल्यांकन अनिवार्य है। पेड़ों की लंबाई, मोटाई और प्रजाति के अनुसार मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार कर नीलामी की जाती है, तभी पेड़ काटने की अनुमति मिलती है। लेकिन भुतहा नर्सरी प्रबंधन ने न तो कोई पत्राचार किया और न ही मूल्यांकन की प्रक्रिया अपनाई।
जनता में आक्रोश, कार्रवाई की मांग
स्थानीय लोगों का कहना है कि “अगर आम नागरिक एक पेड़ भी काट दें तो कार्रवाई होती है, लेकिन अधिकारी ही नियम तोड़ें तो कोई सुनवाई नहीं।” ग्रामीणों ने उद्यान अधीक्षक पर कार्रवाई की मांग की है और कहा है कि वन विभाग इस मामले में सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित है।
प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि यह मामला सिर्फ पेड़ कटाई नहीं, बल्कि सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग और पर्यावरणीय अपराध की श्रेणी में आता है। प्रशासन और वन विभाग की निष्क्रियता से जनता में भारी रोष है।
अब देखना यह होगा कि पर्यावरण संरक्षण के नाम पर चल रहे सरकारी अभियानों के बीच, भुतहा नर्सरी में हो रही इस मनमानी पर प्रशासन कब तक आंखें मूंदे रहता है।



