
सक्ती/बाराद्वार। नगर पंचायत बाराद्वार में इस बार की बारिश सिर्फ जलभराव या कीचड़ नहीं लाई, बल्कि जलजनित बीमारियों, ज़हरीले जीव-जंतुओं और दूषित पानी के ज़रिए मौत का खतरा भी अपने साथ ले आई है।
ठहरा हुआ गंदा पानी, जगह-जगह उगी घास-खरपतवार, और बिना जांच के सप्लाई हो रहा आरओ पानी अब जनता की सेहत पर सीधा हमला कर रहे हैं।
💧 पीएच स्तर असंतुलित, पानी बना ज़हर
बारिश के कारण ज़मीन में गाद, केमिकल और कचरा बहकर जलस्रोतों में मिल गया है, जिससे पानी का पीएच स्तर असामान्य हो गया है। यह सीधे आंतरिक संक्रमण, उल्टी-दस्त, त्वचा रोग और फंगल इंफेक्शन जैसी बीमारियों को जन्म दे रहा है।
🚱 प्राइवेट आरओ की मनमानी, बिना जांच के हो रही सप्लाई
नगर में धड़ल्ले से प्राइवेट आरओ यूनिट्स द्वारा पानी की सप्लाई की जा रही है, लेकिन इनकी मानकता, पानी की गुणवत्ता या पीएच वैल्यू की कोई प्रशासनिक जांच नहीं हो रही। लोग साफ पानी समझकर जो आरओ पानी पी रहे हैं, वह कई बार संक्रमित और मानकहीन हो सकता है।
👨⚕️ विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं: “बिना जांचे आरओ यूनिट्स का पानी पीना लंबे समय में किडनी, लिवर और पाचन से जुड़ी गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है।”
🐍 खरपतवार में छिपे ज़हरीले सर्प, मौत घरों तक पहुंची
बारिश के बाद नगर में जगह-जगह उगे खरपतवार और घनी घास ज़हरीले जीवों के छिपने का अड्डा बन चुकी है। सर्पदंश और जहरीले कीटों के हमलों में वृद्धि ने ग्रामीणों को डर और दहशत में जीने पर मजबूर कर दिया है।
🦟 मच्छरों की भरमार, डेंगू-मलेरिया का मंडरा रहा खतरा
गंदे और रुके हुए पानी में मच्छरों का प्रजनन तेज़ी से हो रहा है, जिससे डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसे रोगों की आहट स्पष्ट सुनाई देने लगी है।
🚫 प्रशासन की चुप्पी: ना सफाई, ना छिड़काव, ना निगरानी
नगर पंचायत द्वारा न तो खरपतवार नियंत्रण के लिए “सफाचट” दवा, और न ही ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया जा रहा है।
वहीं दूसरी ओर, प्राइवेट पानी सप्लायरों पर न तो कोई रजिस्ट्रेशन नियंत्रण है, न ही नमूनों की टेस्टिंग हो रही है।
📣 स्थानीय नागरिकों का आरोप है:
“प्रशासन सो रहा है और हम बीमारियों के मुंह में जा रहे हैं। हमें न साफ पानी मिल रहा है, न सुरक्षित माहौल।”
📢 जनता की मांग: तुरंत हो कार्रवाई
- नगर में सप्लाई हो रहे सभी आरओ पानी की गुणवत्ता की जांच की जाए
- ब्लीचिंग पाउडर, खरपतवार नाशक और कीटनाशक का सघन छिड़काव अभियान चलाया जाए
- सार्वजनिक स्थानों की सफाई और जल निकासी व्यवस्था दुरुस्त की जाए
- प्रशासन को जिम्मेदारी तय कर नियमित निगरानी तंत्र लागू करना चाहिए
और इस समस्या से खुद नगर पंचायत बाराद्वार में कार्यरत अकाउंटेंट छत राम मैना के नाती की मृत्यु सर्पदंश से हो चुकी है उसके बाद भी नगर की समस्याओं को जनप्रतिनिधि अनदेखा कर रहे हैं।



