
जैजैपुर।
ब्लॉक के ग्राम पंचायत किकिरदा में सरपंच और सचिव की कथित मिलीभगत से 15वें वित्त आयोग की राशि के गबन का गंभीर आरोप सामने आया है। ग्रामीणों ने कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ और जनपद सीईओ से लिखित शिकायत कर मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
शिकायत में कहा गया है कि पंचायत की सरपंच गोमती मांझी और सचिव कीर्तनलाल चन्द्रा द्वारा बिना किसी वास्तविक काम कराए ही लाखों रुपये की निकासी कर ली गई। ग्राम पंचायत के व्यवसायिक भवन, परिसर मरम्मत व पंचायत भवन मरम्मत के नाम पर अलग-अलग किस्तों में करीब 4.68 लाख रुपये की राशि निकाली गई। सवाल उठता है कि पंचायत भवन को बने अभी एक वर्ष भी पूरा नहीं हुआ, फिर इतनी मरम्मत की आवश्यकता कैसे पड़ गई?

इसी तरह हैंडपंप मरम्मत के नाम पर 1.10 लाख रुपये और पुराने ट्राईसाइकिल को नया दिखाकर फिर से 1.10 लाख रुपये खर्च दर्शा दिए गए। इसके अलावा फोटोकॉपी, नल-जल पाइपलाइन मरम्मत और कचरा कलेक्शन जैसी मदों में भी लाखों रुपये की निकासी कर ली गई।
दो डस्टबिन की कीमत 20 हजार!
आरोप यह भी है कि पंचायत भवन में पहले से मौजूद दो पुराने डस्टबिन को नया खरीदी दर्शाकर 20 हजार रुपये निकाल लिए गए, जबकि बाजार में वही डस्टबिन महज 500 से 1000 रुपये में आसानी से मिल जाते हैं।
कुल मिलाकर 15वें वित्त आयोग की 8.91 लाख रुपये की राशि पंचायत में बिना वास्तविक काम कराए गबन कर ली गई है।
इस पूरे मामले में जब जनपद पंचायत जैजैपुर की सीईओ वर्षा रानी चिकनजूरी से पूछा गया तो उन्होंने कहा—
“मामले की शिकायत मिली है, जांच के लिए रिमार्क कर दिया गया है।



