
जैजैपुर (सक्ती)।
सक्ती जिले के जनपद पंचायत जैजैपुर के ग्राम कोटेतरा में एक अनोखी और भावुक कर देने वाली घटना ने सभी को मानवीय संवेदना की मिसाल दिखा दी। यहां एक घायल बंदर की मौत के बाद गांववासियों ने उसे सिर्फ एक जानवर नहीं, बल्कि परिवार का सदस्य मानते हुए धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ उसका अंतिम संस्कार किया।
जानकारी के अनुसार, 4 अक्टूबर को एक घायल बंदर किसी तरह गांव पहुंचा था। जैसे ही ग्राम की सरपंच सुनीता रमेश साहू को इसकी जानकारी मिली, उन्होंने तत्काल डॉक्टरों को बुलवाकर बंदर का इलाज करवाया। इलाज के बाद भी उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ और बंदर ने दम तोड़ दिया।
बंदर की मौत की खबर पूरे गांव में आग की तरह फैल गई। कुछ ही देर में गुड़ी चौक में ग्रामीणों की भीड़ इकट्ठा हो गई। माहौल पूरी तरह ग़मगीन था — कई लोगों की आंखें नम थीं।
गांववासियों ने बंदर को श्रद्धा और प्रेम के साथ विदाई दी। धार्मिक मंत्रोच्चारण और विधि-विधान के साथ उसकी अंतिम यात्रा निकाली गई, जिसमें पुरुष, महिलाएं और बच्चे बड़ी संख्या में शामिल हुए।
ग्रामीणों ने कहा —
“यह बंदर हमारे परिवार जैसा था, इसे ईश्वर का दूत मानते थे। इसका जाना हमारे लिए किसी अपने के जाने जैसा है।”
गांव कोटेतरा में इस घटना ने इंसानियत और करुणा की एक अनोखी मिसाल पेश की है। जहां आज के समय में संवेदनाएं कम होती जा रही हैं, वहीं इस गांव ने दिखा दिया कि प्रेम और सम्मान सिर्फ मनुष्यों के लिए नहीं, बल्कि हर जीव के लिए होना चाहिए।



