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सक्ती – 📰 खेत सूने, किसान परेशान: सक्ती जिले के कोटेतरा में खाद संकट ने मचाया हाहाकार

🌾 पंजीकृत किसानों को भी नहीं मिल रही यूरिया खाद, धान की फसल पर मंडरा रहा संकट

📍 जैजैपुर/सक्ती, छत्तीसगढ़ | विशेष रिपोर्ट –

सक्ती जिले के कोटेतरा और आसपास के गांवों में यूरिया खाद की भारी किल्लत ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। बीते दो महीनों से किसान सहकारी समितियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। समय पर खाद नहीं मिलने से धान की फसल पर बुरा असर पड़ रहा है।


🔍 यूरिया की किल्लत से किसानों की नींद उड़ी

किसानों ने बताया कि समिति केंद्रों में खाद उपलब्ध नहीं है। यहां तक कि जिन किसानों ने पंजीयन करा रखा है, उन्हें भी खाद नहीं मिल रही। निजी दुकानों में यूरिया खाद ₹550 से ₹700 प्रति बोरी तक बिक रही है, जो अधिकांश छोटे किसानों के लिए काफी महंगी है।


🏢 समिति केंद्रों में पर्याप्त भंडारण नहीं

दतौद सहकारी समिति में तीन गांवों के लिए कुल 1700 बोरी यूरिया खाद आया, जबकि आवश्यकता 4200 बोरियों की थी। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि कोटेतरा गांव के किसानों को एक भी बोरी खाद नहीं दी गई।

किसानों का आरोप है कि केंद्र में जानबूझकर कोटेतरा को नजरअंदाज किया गया है। समिति कर्मी खाद खत्म होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं।


🌧️ बारिश के बीच बढ़ रही बेचैनी

लगातार हो रही बारिश के बीच किसान समिति पहुंचना भी मुश्किल महसूस कर रहे हैं, फिर भी वे रोज इस उम्मीद में चक्कर लगा रहे हैं कि शायद आज खाद मिल जाए। लेकिन नतीजा हर दिन सिर्फ निराशा ही होती है।


💬 किसानों की पीड़ा: “फसल बचानी है, लेकिन साधन नहीं”

स्थानीय किसानों का कहना है:

“अगर समय पर खाद नहीं मिला, तो फसल में वृद्धि नहीं होगी। धान की उपज आधी रह जाएगी। पहले से महंगाई है, अब खाद भी नहीं मिलेगा तो खेती कैसे करें?”


⚠️ खाद की कालाबाजारी पर भी सवाल

किसानों ने आरोप लगाया कि समिति से खाद न देकर निजी दुकानों में ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। इससे कालाबाजारी की आशंका को बल मिल रहा है।


🛑 प्रशासन से मांग – तुरंत समाधान हो

किसानों ने मांग की है कि:

  • सहकारी समितियों में शीघ्र खाद की आपूर्ति की जाए
  • खाद वितरण की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए
  • कोटेतरा गांव के किसानों के साथ अन्याय न हो
  • जरूरत हो तो खाद वितरण की निगरानी के लिए समिति बनाई जाए

🚜 आंदोलन की चेतावनी

किसानों ने स्पष्ट कहा है कि यदि जल्द राहत नहीं मिली, तो वे चक्का जाम और प्रदर्शन के लिए मजबूर होंगे। उनका कहना है –

“हमारी जिंदगी खेतों से जुड़ी है, अगर खेत सूखे रहेंगे तो जीवन भी सूना हो जाएगा।”

 

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