
नया बाराद्वार (जिला सक्ती)।
स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत नगर पंचायत नया बाराद्वार में वर्ष 2017 से कार्यरत स्वच्छता दीदियों को बिना पूर्व सूचना कार्य से हटाए जाने पर गहरा रोष उत्पन्न हुआ है। दीदियों ने नगर पंचायत प्रशासन को तीन दिवस का अल्टीमेटम देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि यदि उन्हें पुनः सेवा में नहीं लिया गया, तो वे कार्यालय के समक्ष शांतिपूर्ण धरना देने को बाध्य होंगी।
इन महिलाओं का कहना है कि वे बीते आठ वर्षों से पूर्ण निष्ठा व समर्पण के साथ नगर के सभी वार्डों में स्वच्छता अभियान को जमीनी स्तर पर सफल बना रही थीं। वे नियमित रूप से घर-घर जाकर कचरा संग्रहण, सफाई और जागरूकता कार्य कर रही थीं। मिनी टिप्पर, रिक्शा व ट्रैक्टर आदि के माध्यम से नगर की साफ-सफाई बनाए रखने में सक्रिय भूमिका निभाई गई।
निष्ठा पोर्टल से हटाना अनुचित – महिलाओं की पीड़ा
1 अप्रैल 2025 को अचानक इनका नाम “निष्ठा पोर्टल” से हटा दिया गया, जबकि कार्य पहले की तरह ही किया जा रहा था। इससे उनकी आजीविका पर संकट खड़ा हो गया है। दीदियों ने पूर्व में शांतिपूर्ण वेतन वृद्धि आंदोलन भी किया था, लेकिन कार्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता कभी कम नहीं हुई।

वार्ड पार्षद और समिति के पदाधिकारियों का समर्थन
वार्ड क्रमांक 04 के पार्षद श्री अभिषेक राय ने कहा:
“स्वच्छता दीदियों ने वर्षों तक बिना रुके कार्य किया है। ऐसे में बिना किसी कारण उन्हें हटाना अन्यायपूर्ण है। मैं इनके साथ हूं और इस विषय में प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करता हूं।”
स्वच्छता समिति की उपाध्यक्ष श्रीमती स्मिता देवी, सदस्य श्रीमती जमुना देवी एवं श्रीमती रामेश्वरी देवी सहित कुल 15 महिलाओं ने इस आवेदन पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए स्वच्छता दीदियों के पक्ष में अपनी एकजुटता दिखाई है।
पूर्व उपाध्यक्ष विजय सूर्यवंशी भी आए समर्थन में
पूर्व नगर पंचायत उपाध्यक्ष श्री विजय सूर्यवंशी ने कहा:
“स्वच्छता दीदियों की मेहनत से ही नया बाराद्वार को स्वच्छता पुरस्कार मिला। इनकी अनदेखी प्रशासनिक चूक है, जिसे सुधारना आवश्यक है।”
आंदोलन की चेतावनी
दीदियों द्वारा दिए गए पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि प्रशासन ने तीन दिनों में पुनः सेवा में बहाल नहीं किया, तो वे शांतिपूर्ण धरना देने को बाध्य होंगी। इस संबंध में पत्र की प्रतिलिपि जिला कलेक्टर व नगर पंचायत अध्यक्ष को भी भेजी गई है।
यह केवल रोजगार का नहीं, सम्मान का भी प्रश्न है। स्वच्छता दीदियों का यह संघर्ष एक बार फिर हमें याद दिलाता है कि हर अभियान की सफलता के पीछे मेहनतकश लोगों की भूमिका होती है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।



