
सक्ती//बाराद्वार नगर पंचायत की राजनीति इन दिनों भीतर ही भीतर असंतोष की चपेट में है। भाजपा में वर्षों से निष्ठा और समर्पण के साथ काम करने वाले कार्यकर्ता आज खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। पार्टी के अंदर ये चर्चा जोरों पर है कि हाल ही में कांग्रेस, बसपा और जोगी कांग्रेस जैसे दलों से आए नेताओं को भाजपा में प्रमुख जिम्मेदारियाँ दी जा रही हैं, जबकि वर्षों से संगठन के लिए काम करने वाले पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही है।
नगर पंचायत बाराद्वार के पूर्व नेता प्रतिपक्ष दीपक ठाकुर भी इन्हीं उपेक्षित चेहरों में शामिल हैं। जब प्रदेश में भाजपा विपक्ष में थी, तब दीपक ठाकुर ने नगर में कांग्रेस के खिलाफ सबसे मुखर होकर आवाज उठाई थी। विशेष रूप से कोरोना काल जैसी विपरीत परिस्थिति में उन्होंने जनसेवा को प्राथमिकता देते हुए संगठन की साख बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई थी।
लेकिन आज जब भाजपा सत्ता में है और संगठन विस्तार की प्रक्रिया चल रही है, तब पुराने निष्ठावान कार्यकर्ताओं की जगह पार्टी में हाल ही में शामिल हुए नेताओं को तरजीह दी जा रही है। इससे संगठन के जमीनी कार्यकर्ताओं में गहरी नाराजगी देखी जा रही है।
दीपक ठाकुर ने इस विषय में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
“मैंने सदैव निस्वार्थ भाव से पार्टी के लिए काम किया है। आज मुझे दरकिनार किया जा रहा है, यह निराशाजनक तो है, लेकिन मेरी निष्ठा भाजपा की विचारधारा से जुड़ी है, न कि किसी पद से।”
संगठन के इस रुख से कई समर्पित कार्यकर्ता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उनका मानना है कि यदि पुराने और समर्पित कार्यकर्ताओं को किनारे कर बाहरी चेहरों को महत्व दिया जाता रहा, तो इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटेगा और पार्टी की जमीनी पकड़ कमजोर पड़ेगी।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा नेतृत्व इस नाराजगी को कितना गंभीरता से लेता है, और संगठन के भीतर संतुलन बनाकर निष्ठावान कार्यकर्ताओं को उनका सम्मान वापस दिला पाता है या नहीं।



