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सक्ती -जनपद अध्यक्ष की कुर्सी के लिए सियासी दंगल शुरू! चार प्रमुख दावेदारो के नाम आये सामने

सक्ती। पंचायत चुनाव खत्म होते ही अब असली घमासान जनपद अध्यक्ष पद के लिए शुरू हो चुका है। सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है, और जोड़तोड़ की राजनीति अपने चरम पर पहुंच गई है। इस पद पर कब्जा जमाने के लिए उम्मीदवारों ने अपनी रणनीतियां तैयार कर ली हैं, लेकिन कुर्सी तक पहुंचने का रास्ता आसान नहीं होगा।

चार दावेदारों के बीच कांटे की टक्कर!

इस बार जनपद अध्यक्ष का पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित है, और चार प्रमुख नाम सामने आ रहे हैं—

  1. ममता प्रेम पटेल (क्षेत्र क्रमांक 19)
  2. नीतू ऋषि राय (क्षेत्र क्रमांक 8)
  3. कृष्णा लोचन राठौर (क्षेत्र क्रमांक 21)
  4. रजनी देवी राठौर (क्षेत्र क्रमांक 22)

इनमें से किसी एक के सिर जीत का ताज सजेगा, लेकिन फैसला 24 निर्वाचित जनपद सदस्यों के समर्थन से होगा। सभी दावेदार अपने पक्ष में ज्यादा से ज्यादा जनपद सदस्यों को साधने में लगे हुए हैं।

जनपद सदस्य जो तय करेंगे अगला अध्यक्ष

इस जनपद पंचायत क्षेत्र में कुल 24 सदस्य चुने गए हैं, जिनमें कई दिग्गज नाम शामिल हैं:

  1. ज्ञानिक प्रसाद खांडे
  2. गुललेश्वरी संजय कंवर
  3. उषा कंवर
  4. दिलसाय कंवर
  5. अमर सिंह राठिया
  6. शांति प्रधुमन लहरे
  7. सुषमा राकेश साहू
  8. नीतू ऋषि राय
  9. बंशीधर खांडे 
  10. सुनीता नाई
  11. शैल वेदचंद यादव
  12. बजरंग राजू राठौर
  13. अनिता परमानंद सिदार
  14. सफीक भाई
  15. हृदेश्वरी (मंजू) जगत
  16. प्रतिभा मेहरा
  17. सत्यप्रकाश महंत
  18. टंकेश्वर पटेल
  19. ममता प्रेम पटेल
  20. मोंगरा बाई सतनामी
  21. कृष्णा लोचन राठौर
  22. रजनी देवी राठौर
  23. रामेश्वरी गबेल
  24. राजेश्वरी आनंद राम गोंड़

राजनीतिक जोड़तोड़ और समीकरणों का खेल तेज

  • कई वरिष्ठ और अनुभवी सदस्य इस बार फिर से निर्वाचित हुए हैं, जो चुनावी रणनीति में माहिर माने जाते हैं।
  • संभावित उम्मीदवार जनपद सदस्यों के समर्थन को पक्का करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।
  • 27 फरवरी से कलेक्टर कार्यालय में नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी।
  • 12 मार्च को जनपद अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चुनाव संपन्न होगा।

कौन मारेगा बाजी?

अब बड़ा सवाल यही है—कौन अपनी राजनीतिक चालों से बाजी मार लेगा, किसका जादू चलेगा, और कौन अंत में जनपद अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठेगा? जोड़तोड़, रणनीति और समर्थन का यह खेल अब दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुका है। अगले कुछ दिनों में पूरे समीकरण बदल सकते हैं, और इस सियासी दंगल का असली विजेता सामने आ जाएगा!

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