
बिलासपुर | छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले में शिक्षकों की युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितता का मामला सामने आया है। समाजसेवी एवं जनपद पंचायत मालखरौदा के पूर्व सभापति अरुण महिलांगे (पिहरीद) के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने संभागायुक्त बिलासपुर को इस मामले की शिकायत की।



प्रतिनिधिमंडल में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के जिला सचिव भाई भानु प्रताप चौहान, युवा प्रकोष्ठ अध्यक्ष कीर्तन मरावी, बजरंग मरावी, और चंद्रशेखर जगत शामिल रहे। उन्होंने दर्जनों ठोस उदाहरणों और दस्तावेजों के साथ युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में घोर लापरवाही और मनमानी की ओर आयुक्त का ध्यान आकर्षित किया।
🔎 प्रमुख आरोप और गंभीर अनियमितताएं:
▪ वरिष्ठता की अनदेखी: वाणिज्य, जीवविज्ञान, भौतिक शास्त्र जैसे विषयों के अनुभवी व्याख्याताओं को नियमों के विरुद्ध अतिशेष घोषित किया गया।
▪ शिक्षकविहीन स्कूलों की अनदेखी: कई ऐसे स्कूल जिन्हें शिक्षक नहीं मिले, उन्हें काउंसलिंग सूची में शामिल ही नहीं किया गया।
▪ दावा-आपत्ति का अवसर नहीं: शिक्षक संवर्ग और विषयवार वरीयता सूची जारी करने के बावजूद आपत्ति दर्ज करने का अवसर नहीं दिया गया।
▪ वर्षों से संचालित वाणिज्य संकाय खतरे में: केरीबंधा और नंदौरकला जैसे स्कूलों से सभी वाणिज्य शिक्षक हटा दिए गए, जिससे विषय बंद होने की कगार पर है।
▪ मिडिल स्कूलों में दोहरा मापदंड: कुछ स्कूलों में विषय रचनाक्रम के अनुसार अतिशेष घोषित किया गया, कुछ में नहीं — इससे कई वरिष्ठ शिक्षक जबरन जिले से बाहर हुए।
▪ दो प्रधान पाठक एक ही स्कूल में: टेमर की प्राथमिक शाला में एक शिक्षक को हटाकर बाद में उसी पद पर दूसरा शिक्षक पदस्थ कर दिया गया।
▪ प्राचार्य विहीन स्कूलों की भरमार: जिले के लगभग 80% हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में प्राचार्य नहीं हैं, लेकिन योग्य प्राचार्य को आहरण अधिकार वाले स्कूल चुनने का विकल्प नहीं दिया गया।
📢 प्रतिनिधिमंडल की मांग:
पूरे युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया की उच्च स्तरीय जांच, दोषियों पर सख्त कार्रवाई, और पीड़ित शिक्षकों को न्याय दिलाने की।
🗣️ संभागायुक्त का आश्वासन:
प्रतिनिधिमंडल की शिकायत पर संभागायुक्त बिलासपुर ने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए निष्पक्ष जांच और आवश्यक कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।
📌 जनता की निगाहें प्रशासन पर
इस मामले को लेकर जिलेभर में आक्रोश और असंतोष व्याप्त है। शिक्षकों, पालकों और छात्र संगठनों में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर शिक्षा जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्था में इतनी लापरवाही क्यों?
अब देखना होगा कि क्या यह जांच केवल कागजों तक सिमट जाएगी या सचमुच दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी। फिलहाल, पूरे जिले की निगाहें आयुक्त कार्यालय पर टिकी हैं, और जनता को निष्पक्ष न्याय की उम्मीद है।



