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सक्ती-शादी के दूसरे दिन ही प्रेमी संग फरार हुई दुल्हन, 11 माह बाद भी पीड़ित युवक भटक रहा न्याय के लिए

सक्ती//जैजैपुर (संवाददाता)।

विधानसभा जैजैपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत कोटेतरा निवासी अशोक कुमार साहू के साथ छाया साहू पिता -सोनाऊराम साहू ग्राम सुलौनी कला(भटगांव) जिला- सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) के साथ रिति-रिवाज से शादी 2 जुलाई 2024 को हुई थी।
अशोक साहू के जीवन की सबसे बड़ी खुशी कुछ ही घंटों में गम और अपमान में बदल गई। शादी के दूसरे ही दिन रात के अंधेरे में उसकी पत्नी छाया साहू घर से नगदी, सोना-चांदी और जेवर लेकर प्रेमी संग फरार हो गई। घटना 3 जुलाई 2024 की दरमियानी रात 1 से 3 बजे के बीच की है।

अशोक साहू ने जब पत्नी के लापता होने की सूचना दी, तो परिजनों ने 5 जुलाई को जैजैपुर थाना में गुमशुदगी दर्ज कराई। लेकिन 11 महीने बीत जाने के बाद भी अब तक न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही कोई ठोस जानकारी पुलिस द्वारा दी गई।

लापता छाया साहू की गुमशुदगी का इश्तिहार

सबसे हैरानी की बात यह है कि कुछ सप्ताह पहले छाया साहू अपने प्रेमी के साथ स्वयं जैजैपुर थाना पहुंची थी, लेकिन पुलिस ने न तो उससे पूछताछ की और न ही कोई कानूनी कदम उठाया। उल्टा, पीड़िता का कहना है कि पुलिस को समय नहीं था, जिससे वह फिर प्रेमी के साथ वापस चली गई।

फरार छाया साहू का कथित प्रेमी

पीड़ित की शादी अटकी, समाज भी बना बाधा

अशोक साहू अब दूसरी शादी करना चाहता है, लेकिन बिना सामाजिक और कानूनी समाधान के वह आगे बढ़ने में असमर्थ है। पीड़ित युवक बीते 11 महीने से साहू समाज के पदाधिकारियों और जैजैपुर थाना के चक्कर काट रहा है। लेकिन न तो समाज से स्पष्ट सहमति मिल रही है और न ही प्रशासन से कोई सहयोग।

साहू समाज के ही एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कुछ लोग जानबूझकर फैसले में अड़ंगा डाल रहे हैं, जिससे युवक की जिंदगी अधर में लटकी है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब समाज और प्रशासन दोनों ही आंखें मूंदे बैठे हैं, तो आम व्यक्ति अपनी समस्याओं का समाधान कैसे करेगा?

पीड़ित की अपील – समाज और प्रशासन दे अनुमति

अशोक साहू की भावुक अपील है कि समाज और प्रशासन उसे दूसरी शादी के लिए अनुमति प्रदान करें, ताकि वह सामाजिक रीति-रिवाजों के अनुसार अपना जीवन फिर से शुरू कर सके।


यह मामला न केवल व्यक्तिगत पीड़ा का प्रतीक है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और सामाजिक दुराग्रह का जीवंत उदाहरण भी है। अगर अब भी कदम नहीं उठाए गए तो ऐसे मामले सामाजिक न्याय और व्यवस्था पर गहरा प्रश्नचिन्ह बन जाएंगे।

ऐसे में ये सवाल आजकल के परिवेश के देखकर उठता है कि क्या कानून सिर्फ पुरुषो के उपर लागू होता है

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